तू जो ये जान हथेली पे लिए फिरता है By Sher << अब ये आलम है कि ग़म की भी... पाँव उस के भी नहीं उठते म... >> तू जो ये जान हथेली पे लिए फिरता है तेरा किरदार कहानी से निकल सकता है Share on: