मकीं जब नींद के साए में सुस्ताने लगें 'ताबिश' By Sher << कभी हाथ भी आएगा यार सच कह ज़र्रे ज़र्रे में क़यामत ... >> मकीं जब नींद के साए में सुस्ताने लगें 'ताबिश' सफ़र करते हैं बस्ती के मकाँ आहिस्ता आहिस्ता Share on: