'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन By Sher << ऐ मुहिब्बो राह-ए-उल्फ़त म... आता हूँ मैं ज़माने की आँख... >> 'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन ये हज़रत-ए-इंसाँ ही की अज़्मत का बयाँ है Share on: