हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली By Sher << ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इ... आज खेलेंगे मिरे ख़ून से ह... >> हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली बाशिंदा है शायद किसी दुनिया-ए-दिगर का Share on: