हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं By Sher << इक आग सी जलती रही ता-उम्र... गाहे गाहे की मुलाक़ात ही ... >> हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं आप कहते हैं तो ज़ंजीर हिला देते हैं Share on: