इक आग सी जलती रही ता-उम्र लहू में By Sher << ख़याल कब से छुपा के ये मन... हम को शाहों की अदालत से त... >> इक आग सी जलती रही ता-उम्र लहू में हम अपने ही एहसास में पकते रहे ता-देर Share on: