अभी बाक़ी हैं पत्तों पर जले तिनकों की तहरीरें By Sher << थक के यूँ पिछले पहर सौ गय... जुनूँ को होश कहाँ एहतिमाम... >> अभी बाक़ी हैं पत्तों पर जले तिनकों की तहरीरें ये वो तारीख़ है बिजली गिरी थी जब गुलिस्ताँ पर Share on: