मिला न घर से निकल कर भी चैन ऐ 'ज़ाहिद' By घर, सुकून, Sher << नई सहर के हसीन सूरज तुझे ... लोग चुन लें जिस की तहरीरे... >> मिला न घर से निकल कर भी चैन ऐ 'ज़ाहिद' खुली फ़ज़ा में वही ज़हर था जो घर में था Share on: