नई सहर के हसीन सूरज तुझे ग़रीबों से वास्ता क्या By रौशनी, Sher << तमाम उम्र ख़ुशी की तलाश म... मिला न घर से निकल कर भी च... >> नई सहर के हसीन सूरज तुझे ग़रीबों से वास्ता क्या जहाँ उजाला है सीम-ओ-ज़र का वहीं तिरी रौशनी मिलेगी Share on: