याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम' By Sher << धूप के साए में चुप साधे ह... वो कि ख़ुशबू की तरह फैला ... >> याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम' भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था Share on: