अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता By मोहब्बत, दर्द, Sher << भरे हैं तुझ में वो लाखों ... तमाम उम्र किसी और नाम से ... >> अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता Share on: