भरे हैं तुझ में वो लाखों हुनर ऐ मजमअ-ए-ख़ूबी By Sher << ज़रा सी बात नहीं है किसी ... अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इ... >> भरे हैं तुझ में वो लाखों हुनर ऐ मजमअ-ए-ख़ूबी मुलाक़ाती तिरा गोया भरी महफ़िल से मिलता है Share on: