अगर हो क़ैस तो फिर जा के ढूँडो लैला को By Sher << इक तजस्सुस हुआ करता है बु... तह-ए-आरिज़ जो फ़रोज़ाँ है... >> अगर हो क़ैस तो फिर जा के ढूँडो लैला को अगर हो जौन तो फिर फ़ारिहा के साथ रहो Share on: