तह-ए-आरिज़ जो फ़रोज़ाँ हैं हज़ारों शमएँ By Sher << अगर हो क़ैस तो फिर जा के ... ग़ैर पूछें भी तो हम क्या ... >> तह-ए-आरिज़ जो फ़रोज़ाँ हैं हज़ारों शमएँ लुत्फ़-ए-इक़रार है या शोख़ी-ए-इंकार का रंग Share on: