अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की By Sher << अपनी निगाह पर भी करूँ ए&#... आते रहते हैं फ़लक से भी इ... >> अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की तो फिर साए से अपने प्यार करना चाहिए था Share on: