अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्या By Sher << एक दीवार उठाई थी बड़ी उजल... अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रू... >> अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्या किस मान पर कहूँ वो मिरा इंतिख़ाब था Share on: