अहद-ए-शबाब-ए-रफ़्ता क्या अहद-ए-पुर-फ़ज़ा था By Sher << अहल-ए-महशर देख लूँ क़ातिल... अब इतना अक़्ल से बेगाना ह... >> अहद-ए-शबाब-ए-रफ़्ता क्या अहद-ए-पुर-फ़ज़ा था जीने का भी मज़ा था मरने का भी मज़ा था Share on: