अहल-ए-महशर देख लूँ क़ातिल को तो पहचान लूँ By Sher << अपनी बीती न कहूँ तेरी कहा... अहद-ए-शबाब-ए-रफ़्ता क्या ... >> अहल-ए-महशर देख लूँ क़ातिल को तो पहचान लूँ भोली-भाली शक्ल थी और कुछ भला सा नाम था Share on: