अहल-ए-दुनिया से मुझे तो कोई अंदेशा न था By Sher << अपने ही पैरों से अपना-आप ... बहुत मोहतात हो कर साँस ले... >> अहल-ए-दुनिया से मुझे तो कोई अंदेशा न था नाम तेरा किस लिए मिरे लबों पर जम गया Share on: