ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़' By Sher << इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त ... क़िबला बन जाए जहाँ तू कोई... >> ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़' ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा Share on: