ज़िंदगी पर इस से बढ़ कर तंज़ क्या होगा 'फ़राज़' By Sher << इशरत-ए-क़तरा है दरिया में... रंज-ए-ग़ुर्बत में देख कर ... >> ज़िंदगी पर इस से बढ़ कर तंज़ क्या होगा 'फ़राज़' उस का ये कहना कि तू शाएर है दीवाना नहीं Share on: