दिल किसी बज़्म में जाते ही मचलता है 'ख़याल' By Sher << आग़ाज़ तो अच्छा था 'फ... बे-रंग न वापस कर इक संग ह... >> दिल किसी बज़्म में जाते ही मचलता है 'ख़याल' सो तबीअत कहीं बे-ज़ार नहीं भी होती Share on: