हम अपनी धूप में बैठे हैं 'मुश्ताक़' By Sher << इक मुअम्मा है समझने का न ... चले हो दश्त को 'नाज़ि... >> हम अपनी धूप में बैठे हैं 'मुश्ताक़' हमारे साथ है साया हमारा Share on: