चले हो दश्त को 'नाज़िम' अगर मिले मजनूँ By Sher << हम अपनी धूप में बैठे हैं ... अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र ... >> चले हो दश्त को 'नाज़िम' अगर मिले मजनूँ ज़रा हमारी तरफ़ से भी प्यार कर लेना Share on: