ऐसे लम्हे भी गुज़ारे हैं तिरी फ़ुर्क़त में By Sher << नमी जगह बना रही है आँख मे... बदन-सराए में ठहरा हुआ मुस... >> ऐसे लम्हे भी गुज़ारे हैं तिरी फ़ुर्क़त में जब तिरी याद भी इस दिल पे गिराँ गुज़री है Share on: