बदन-सराए में ठहरा हुआ मुसाफ़िर हूँ By Sher << ऐसे लम्हे भी गुज़ारे हैं ... काग़ज़ पे उगल रहा है नफ़र... >> बदन-सराए में ठहरा हुआ मुसाफ़िर हूँ चुका रहा हूँ किराया मैं चंद साँसों का Share on: