ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद By Sher << हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ तुम्हें फ़ुर्सत हो दुनिया... >> ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद जुज़ साया-ए-ख़ुदा कहीं दार-उल-अमाँ नहीं Share on: