ऐसी तरक़्क़ी पर तो रोना बनता है By Sher << बाज़ार हैं ख़ामोश तो गलिय... कभी कभी कोई भेजता है नज़र... >> ऐसी तरक़्क़ी पर तो रोना बनता है जिस में दहशत-गर्द क्रोना बनता है Share on: