अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ By Sher << अब कौन जा के साहिब-ए-मिम्... हवा भी चाहिए और रौशनी भी >> अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं Share on: