हवा भी चाहिए और रौशनी भी By Sher << अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब... 'साबिर' तेरा कलाम... >> हवा भी चाहिए और रौशनी भी हर इक हुज्रा दरीचा चाहता है Share on: