अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम By Sher << किस को बहलाते हो शीशे का ... मैं अपने घर में हूँ घर से... >> अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम मकान हो कि मकीं दो दिलों का मिलना देख Share on: