किस को बहलाते हो शीशे का गुलू टूट गया By Sher << मिरे क़बीले में ता'ली... अजब नहीं कि हो दीवार नुक़... >> किस को बहलाते हो शीशे का गुलू टूट गया ख़ुम मिरे मुँह से लगा दो जो सुबू टूट गया Share on: