अजब तरह की है दुनिया ब-रंग-ए-बू-क़लमूँ By Sher << मैं अपना कार-ए-वफ़ा आज़मा... दिल में इक इज़्तिराब बाक़... >> अजब तरह की है दुनिया ब-रंग-ए-बू-क़लमूँ कि है हर एक जुदागाना अल-अमाँ तन्हा Share on: