अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया By Sher << बंद आँखें जब खुलीं तो रौश... जी तो ये चाहता है मर जाएँ >> अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं आया Share on: