बंद आँखें जब खुलीं तो रौशनी पहचान ली By Sher << जम्अ' कर के दर्द सारे... अज़ाब ये भी किसी और पर नह... >> बंद आँखें जब खुलीं तो रौशनी पहचान ली बे-ख़बर हम हों तो हों पर बे-बसर इतने न थे Share on: