अज़ल से आज तक सज्दे किए और ये नहीं सोचा By Sher << तुम्हें समझाएँ तो क्या हम... फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल न ... >> अज़ल से आज तक सज्दे किए और ये नहीं सोचा किसी का आस्ताँ क्यूँ है किसी का संग-ए-दर क्या है Share on: