अज़्म-ए-मोहकम हो तो होती हैं बलाएँ पसपा By Sher << मैं जो चुप था हमा-तन-गोश ... ख़मोशी कह रही है अब ये दो... >> अज़्म-ए-मोहकम हो तो होती हैं बलाएँ पसपा कितने तूफ़ान पलट देता है साहिल तन्हा Share on: