बन सँवर कर रहा करो 'हसरत' By Sher << आहन ओ संग को ज़हराब-ए-फ़न... इस तरह फूँक मेरा गुलिस्ता... >> बन सँवर कर रहा करो 'हसरत' उस की पड़ जाए इक नज़र शायद Share on: