अजीब शहर है घर भी हैं रास्तों की तरह By Sher << एक ही अंजाम है ऐ दोस्त हु... इसी हसरत में कटी राह-ए-हय... >> अजीब शहर है घर भी हैं रास्तों की तरह किसे नसीब है रातों को छुप के रोना भी Share on: