एक ही अंजाम है ऐ दोस्त हुस्न ओ इश्क़ का By इश्क़, हुस्न, Sher << हिजाब उस के मिरे बीच अगर ... अजीब शहर है घर भी हैं रास... >> एक ही अंजाम है ऐ दोस्त हुस्न ओ इश्क़ का शम्अ भी बुझती है परवानों के जल जाने के ब'अद Share on: