अक़्ल के भटके होऊँ को राह दिखलाते हुए By Sher << अश्क-ए-ग़म-ए-उल्फ़त में इ... अब बन के फ़लक-ज़ाद दिखाते... >> अक़्ल के भटके होऊँ को राह दिखलाते हुए हम ने काटी ज़िंदगी दीवाना कहलाते हुए Share on: