अब बन के फ़लक-ज़ाद दिखाते हैं हमें आँख By Sher << अक़्ल के भटके होऊँ को राह... अब और इस के सिवा चाहते हो... >> अब बन के फ़लक-ज़ाद दिखाते हैं हमें आँख ज़र्रे वही कल जिन को उछाला था हमीं ने Share on: