कहीं तो हर्फ़-ए-आख़िर हूँ मैं 'अकबर' By Sher << कई हर्फ़ों से मिल कर बन र... कभी जो वक़्त ज़माने को दे... >> कहीं तो हर्फ़-ए-आख़िर हूँ मैं 'अकबर' किसी का नुक़्ता-ए-आग़ाज़ हूँ मैं Share on: