कभी जो वक़्त ज़माने को देता है गर्दिश By Sher << कहीं तो हर्फ़-ए-आख़िर हूँ... जल कर गिरा हूँ सूखे शजर स... >> कभी जो वक़्त ज़माने को देता है गर्दिश मिरे मकाँ से भी कुछ ला-मकाँ गुज़रते हैं Share on: