किसी के लम्स की तासीर है कि बरसों बा'द By Sher << क्या तुझे इल्म नहीं तेरी ... ये कैसी जगह है कि दिल खो ... >> किसी के लम्स की तासीर है कि बरसों बा'द मिरी किताबों में अब भी गुलाब जागते हैं Share on: