क्या तुझे इल्म नहीं तेरी रज़ा की ख़ातिर By Sher << उम्र लग जाती है इक घर को ... किसी के लम्स की तासीर है ... >> क्या तुझे इल्म नहीं तेरी रज़ा की ख़ातिर मैं ने किस किस को ज़माने में ख़फ़ा रक्खा है Share on: