कुछ अँधेरे हैं अभी राह में हाइल 'अख़्तर' By Sher << क्या करिश्मा है मिरे जज़्... हम जो लुटे उस शहर में जा ... >> कुछ अँधेरे हैं अभी राह में हाइल 'अख़्तर' अपनी मंज़िल पे नज़र आएगा इंसाँ इक रोज़ Share on: