क्या करिश्मा है मिरे जज़्बा-ए-आज़ादी का By वतन परस्ती, Sher << क्यूँ करो 'अख़्तर'... कुछ अँधेरे हैं अभी राह मे... >> क्या करिश्मा है मिरे जज़्बा-ए-आज़ादी का थी जो दीवार कभी अब है वो दर की सूरत Share on: