एक साहिर कभी गुज़रा था इधर से 'अम्बर' By Sher << जो हैं मज़लूम उन को तो तड... ऐ दिल की ख़लिश गर यूँही स... >> एक साहिर कभी गुज़रा था इधर से 'अम्बर' जा-ए-हैरत कि सभी उस के असर में हैं अभी Share on: