सुकूत तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ का इक गराँ लम्हा By Sher << मिरी ख़ुशी से मिरे दोस्तो... ख़िरद की रह जो चला मैं तो... >> सुकूत तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ का इक गराँ लम्हा बना गया है सदाओं का सिलसिला मुझ को Share on: